English: Hindu marriage ceremony from a Rajput wedding. Norsk (nynorsk): Rajput-par i ein hinduistisk vigsel. (Photo credit: Wikipedia) |
शुक्रवार का दिन आफिस से जल्दी आने का दिन होता है। पानी बरस रहा था, कम लोग ही बचे थे ऑफिस में। मैं भी जल्दी निकल लिया। मौका नहीं चूकना चाहिए। रूम पे पहुँच कर टीवी चालू कर के अपनी हमेशा की दिनचर्या शुरू की। सोचा कुछ देर टी.वी देखेंगे। कुछ चाय - वगैरह बनायेंगे और बस फिर आराम से खाने का सोचेंगे।
पर जब आपके शुभचिंतक मित्र हो तो आपको अपने आराम की चिंता उनके ऊपर छोड़ देनी चाहिए। तभी फ़ोन की घंटी बजती है। हमारे एक पुराने मित्र का फ़ोन है। बात हाल चाल से शुरू होती है और फिर जल्द ही वो एक सुझावात्मक मोड़ ले लेती है। वैसे सामान्यतः तो सुझाव लेन-देन का काम लोग अक्सर मेरे साथ करते हैं। मेरे को भी आनंद आता है - जबकि मेरे को अपने ज्ञान का ठीकरा दूसरे के सर फोड़ने का मौका मिलाता है। पर कुछ लोग हैं, जहाँ बात कुछ दूसरी हो जाती है। तो मैं कह रहा था। की बात होते-होते आ जाती है, मेरी जिंदगी के ऊपर। मुझसे सवाल किया जाता है - 'देखो नीरज, अभी तुमको सीरियसली अपनी शादी के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए' अमूमन मैं ऐसी सपाट सलाह, और वो भी मेरे बारे में, - मैं इसके लिए तैयार नहीं रहता हूँ। मैंने हकलाते हुए कहा 'हाँ भाई, बात तो सही कह रहे हो' फिर मैंने आगे कहा - 'यार, हो जायेगी मेरी भी शादी' - मैंने बेफिक्री के आलम में बात को वहीँ ख़त्म करने के अंदाज में बोला। पर जनाब अभी पूरे मूड में थे और उनको मालूम था की यही मौका है - मेरे को नसीहत देने का।
बात होते होते - चली गई इस बात पे की आख़िर ये क्यों जरूरी है, की हम अपना लाइफ पार्टनर एक ऐसा ढूंढें जो हमको और हमारी घर के माहौल को समझ सके। मेरा तर्क की 'भाई, कुछ चीजें घर वालों पे छोड़ देनी चाहिए' बहुत देर तक ठहर नहीं पाया। अपने तर्कों को बल देते हुए मेरे श्रीमान मित्र ने कहा की अभी शादी के लिए सही लड़की का मिलना बहुत ही जरूरी है। फिर बड़े ही कविवर अंदाज में उन्होंने बोला - 'देखो! हो सकता है, की तुम्हारी बीवी ऐसी आ जाए, जो की कल को जब तुम मुझसे इतनी देर तक बात करो , तो वो इसपे ऐतराज करे' मैंने कहा - 'वाह! भाई वाह! कोई घर की खेती है क्या?' मैं साफ़ -साफ़ मन कर दूंगा - की ये मेरा दोस्तों का मामला है और तुम इसमें दखलंदाजी मत करो। मेरी बात ख़तम होने के पहले ही मेरे मित्र ने तपाक से बोला - 'और वो तुम्हारी बात मान जायेगी' फ़ोन के पीछे के मुस्कराहट और तड़प मैं महसूस कर सकता था। फिर दोनों तरफ़ से हंसी का फौवारा छूट पड़ा.
मैंने एक बार कहा की मैं तो बस बजरंगबली का नाम ले के कूद जाऊँगा - बाकी वो संभाल लेंगे। जबाब आया - 'बेटा! बजरंगबली भी उन्हीं की सहायता करते हैं, जो अपनी सहायता स्वयं करता है। ठीक है - तलाश जारी है.
पर जब आपके शुभचिंतक मित्र हो तो आपको अपने आराम की चिंता उनके ऊपर छोड़ देनी चाहिए। तभी फ़ोन की घंटी बजती है। हमारे एक पुराने मित्र का फ़ोन है। बात हाल चाल से शुरू होती है और फिर जल्द ही वो एक सुझावात्मक मोड़ ले लेती है। वैसे सामान्यतः तो सुझाव लेन-देन का काम लोग अक्सर मेरे साथ करते हैं। मेरे को भी आनंद आता है - जबकि मेरे को अपने ज्ञान का ठीकरा दूसरे के सर फोड़ने का मौका मिलाता है। पर कुछ लोग हैं, जहाँ बात कुछ दूसरी हो जाती है। तो मैं कह रहा था। की बात होते-होते आ जाती है, मेरी जिंदगी के ऊपर। मुझसे सवाल किया जाता है - 'देखो नीरज, अभी तुमको सीरियसली अपनी शादी के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए' अमूमन मैं ऐसी सपाट सलाह, और वो भी मेरे बारे में, - मैं इसके लिए तैयार नहीं रहता हूँ। मैंने हकलाते हुए कहा 'हाँ भाई, बात तो सही कह रहे हो' फिर मैंने आगे कहा - 'यार, हो जायेगी मेरी भी शादी' - मैंने बेफिक्री के आलम में बात को वहीँ ख़त्म करने के अंदाज में बोला। पर जनाब अभी पूरे मूड में थे और उनको मालूम था की यही मौका है - मेरे को नसीहत देने का।
बात होते होते - चली गई इस बात पे की आख़िर ये क्यों जरूरी है, की हम अपना लाइफ पार्टनर एक ऐसा ढूंढें जो हमको और हमारी घर के माहौल को समझ सके। मेरा तर्क की 'भाई, कुछ चीजें घर वालों पे छोड़ देनी चाहिए' बहुत देर तक ठहर नहीं पाया। अपने तर्कों को बल देते हुए मेरे श्रीमान मित्र ने कहा की अभी शादी के लिए सही लड़की का मिलना बहुत ही जरूरी है। फिर बड़े ही कविवर अंदाज में उन्होंने बोला - 'देखो! हो सकता है, की तुम्हारी बीवी ऐसी आ जाए, जो की कल को जब तुम मुझसे इतनी देर तक बात करो , तो वो इसपे ऐतराज करे' मैंने कहा - 'वाह! भाई वाह! कोई घर की खेती है क्या?' मैं साफ़ -साफ़ मन कर दूंगा - की ये मेरा दोस्तों का मामला है और तुम इसमें दखलंदाजी मत करो। मेरी बात ख़तम होने के पहले ही मेरे मित्र ने तपाक से बोला - 'और वो तुम्हारी बात मान जायेगी' फ़ोन के पीछे के मुस्कराहट और तड़प मैं महसूस कर सकता था। फिर दोनों तरफ़ से हंसी का फौवारा छूट पड़ा.
उनकी शादी हुए २ साल होने को है। मैंने ध्यान दिया कि मेरी उनसे हमेशा ही बात तभी होती है जब वो ऑफिस और घर के बीच में होते हैं। मैंने फिर उनकी बात से सहमती जताते हुए कहा - अच्छा करते हो दोस्त कि तुम रास्ते में ही बात कर लेते हो। कभी वो भी मेरी तरह समझदार हुआ करते थे। अब वो शादी-शुदा हैं। और किसी भी तरह चाहते हैं की मैं सही कदम उठाऊँ। मैं तो यही समझता था की वो एक सुपरमैन हैं और उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी सोच समझ और प्लानिंग कर के कदम उठाये हैं। मेरी तो कई जिंदगी नप जायेगी उसके आधे लेवल तक भी पहुँचने में. काफी कुछ दूसरों के अनुभव से सीखने को मिलता है, पर मैं क्या करू अब ऐसा कौन सा सिस्टम है , जो की इस तरह से आपकी पसंद के अनुसार आपकी मनोकामना पूरी कर सकता है।
मैंने एक बार कहा की मैं तो बस बजरंगबली का नाम ले के कूद जाऊँगा - बाकी वो संभाल लेंगे। जबाब आया - 'बेटा! बजरंगबली भी उन्हीं की सहायता करते हैं, जो अपनी सहायता स्वयं करता है। ठीक है - तलाश जारी है.
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