मैं और मेरी पंचायत. चाहे ऑफिस हो, या हो घर हम पंचायत होते हर जगह देख सकते हैं. आइये आप भी इस पंचायत में शामिल होइए. जिदगी की यही छोटी-मोटी पंचायतें ही याद रह जाती हैं - वरना इस जिंदगी में और क्या रखा है. "ये फुर्सत एक रुकी हुई ठहरी हुई चीज़ नहीं है, एक हरकत है एक जुम्बिश है - गुलजार"


Follow me on twitter
click here to go to podcast listing page

Monday, September 22, 2008

विदेश - अनुभव

seatedImage by anjan58 via Flickr यहाँ विदेश में मैं हूँ अभी कुछ वक्त के लिए, बड़ी ही नई - नई चीजें देखने को मिलती हैं। कुछ चीजें जो की हम लोग भी अपने देश में अपना सकते हैं।

- बड़ी सफाई है, भाई यहाँ पैर। लोग सड़क गंदी नहीं करते हैं। अगर कुत्ता टहला रहे हैं, और रास्ते में उसने कर दिया तो वो लोग ख़ुद ही साफ़ करते हैं।

- ट्रैफिक नियम लोग ख़ुद ही बड़ी ही तत्परता से पालन करते हैं। अब कारण चाहे जो हो।

- लोग हार्न नहीं बजाते हैं, पीछे से। तो अगर, ये लोग हिन्दुस्तान के किसी शहर में पहुंचे गाड़ी ले के, तो समझो हो गया इनका हैप्पी बर्थडे।

मैं एक चीज से यहाँ बहुत ही हैरान हूँ, और वो है अपने आप को लेके। मैं एक चलती फिरती liability बन गया हूँ। कारण ये है, की यहाँ गाड़ी जो मैंने रेंट (किराए) पे ली है, उसका अगर मैं इंश्योरेंस लेने के बारे में सोचूँ तो कंपनी यहाँ मेरे को जो खाने पीने के लिए देती है, वो सब भी नाप जायेगा और तब भी मैं कवर नहीं होऊंगा।

मैं जब भी रोज गाड़ी निकालता हूँ, तो एक बार हनुमान चालीसा जरूर पढ़ लेता हूँ, की हे भगवान्! कहीं कोई सिरफिरा मेरे गाड़ी में ठोंक न दे। वरना मैं तो सरे आम नीलाम हों जाऊँगा। अब भाई। ये है न बड़ी बात। रोज मैं गाड़ी दौड़ा रहा हूँ, भगवान् के नाम पे। इन सब चीजों को कोई नहीं समझेगा। लोग तो सोचते हैं, की बन्दा मजे कर रहा है। यहाँ लगी पड़ी है, उसका क्या?

फिर यहाँ मेडिकल , इंश्योरेंस, पढ़ाई कितनी मंहगी है, की मत पूछिए। अब आते हैं, लेबर के ऊपर। अगर यहाँ सफाई का काम मिल जाए तो शायद मेरे को जितना मेरी कंपनी खर्चे पानी के लिए देती है, उससे कईयों गुना कमा के रख दूँ. रहने दीजिये एक रसोई में सफाई करने वाली बाई भी हर घंटे का एक H1 पे काम कर रहे सॉफ्टवेर इंजिनियर से ज्यादा कमाती है। मेरी तो बात ही छोड़ दे।

2 comments:

  1. सही है गुरु तभी तो आधे हिन्दुस्तानी डॉ वही भागे जा रहे है....जारी रखिये.....

    ReplyDelete
  2. अनुभव इतने खरे शब्दों में बांटने के लिये धन्यवाद। किन्तु अच्छा होता कि यह भी लिखते कि इन 'विरोधाभासों' की तार्किक निष्पति क्या है? आम भारतीय इसका क्या अर्थ लगाये?

    (भैया नीरज, आपलोग गुनी लोग हैं। कभी-कभी हिन्दी विकिपिडिया पर कुछ तकनीकी लेकों का योगदान कर दिया करें। ऐसे ही हिन्दी भी दीरे-धीरे समृद्ध हो जायेगी।)

    ReplyDelete

विचारों को पढने और वक्त निकाल के यहाँ कमेन्ट छोड़ने के लिए आपका शुक्रिया

Related Posts with Thumbnails

my Podcast

About Me

My photo
Bangalore, Karnataka, India
A software engineer by profession and in search of the very purpose of my life. At present, living in Bangalore and blog about my musings over technology, life, learnings and thinking mind.

शुक्रिया

www.blogvani.com

रफ़्तार

IndiBlogger - Where Indian Blogs Meet

India Counts

Follow me on twitter

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner