Grown up (Photo credit: tvlistings.zap2it.com) |
तब हम बड़े न हुए थे, छोटे बच्चे थे, लम्बाई भी कोई ज्यादा नहीं थी कि लोग बाग़ छोटा न समझें. बहुत जल्दी थी, बड़ा होने की. क्योंकि, अक्सर ऐसा होता था - कि उमर में बड़े भइया, चाचा या फिर पड़ोस में देख के लगता था, कि बड़ा हो जाऊं, तो बस फिर कभी डांट नहीं पड़ेगी.. राय देने की लत तो शुरू से ही थी, पर कभी किसी ने भाव नहीं दिया, छोटा होने के ये सब नुकसान समझ में आते थे... कोई भी काम पड़ा, तो सबसे छोटा होने की वजह से सीधे सबके आर्डर का भरपूर पालन करना पड़ता था.. बड़ी खीज होती थी... लगता था, कब बड़े होंगे.. समय मानो कितना धीरे - धीरे बीत रहा था...
और अब बड़े हो गए हैं। बड़े होने का एहसास होते ही वो पुराना बचपन मानो दूर से मुह चिढ़ा के कह रहा हो। 'का गुरु! हो गईला न बड़ा - मजा आवत ह' - अरे काहे का मजा यार - "जब आप छोटे होते हैं तो बड़े होना चाहते हैं, जब बड़े होते हैं तो छोटे होना चाहते हैं।" मन करता है, कि फिर से कोई डांटे - काम कैसे सही तरह से किया जाता है बताये। और जब गलती हो, तो साथ में खड़ा हो और फिर उसी बचपन की तरह कहे - "गिरते हैं शाह सवार ही मैदाने जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरे जो घुटने के बल चले " अब तो छोटी सी गलती पे मजा लेने वाले ज्यादा हैं और हितैषी कम। कम उम्र में हमारी हर बात पे ध्यान दिया जाता था। बड़े हो जाने पे जब तक आप गलती नहीं करते तब तक कोई आपकी और ध्यान नहीं देता। वाह रे दुनिया का बड़प्पन! जैसे नींबू के शरबत में आर्टीफीशियल फ्लेवर होता है जबकि बर्तन धोने के लिक्विड में असली नींबू डालने का दावा करते हैं। अरे मैं कहता हूँ, कहे किसी की गलती पे हंसिये मत, उसे शर्मिंदा मत करिये बल्कि गले लगा लिजीए । किसी को गले लगाना सर्वोत्तम उपहार है - एक ही साइज़ सभी को फिट आता है और एक्सचेंज करने में भी कोई समस्या नहीं होती। और याद रखिये लोग आपकी मान्यता का विरोध कर सकते हैं पर आपके प्रेम का नहीं। भगवान हमारे हांथों से ही अपने बच्चों को गले लगाता है।
उम्र के साथ साथ प्रेमिका और शादी की बाते भी उठाने लगती हैं। अगर आपकी कोई प्रेमिका नहीं है तो आपके जीवन में कुछ कमी है, लोग ऐसा आपको बताएँगे। और अगर आपकी कोई प्रेमिका है तो आपके जीवन में कुछ नहीं है ऐसा आपको एहसास होगा। पर सौ बात की एक बात है, कि आप परेशान न हों और अपनी परेशानियों से दूर न भागें, क्योंकि जब वे आपको पकड़ेंगी तब आप उनसे भागते-भागते थक चुके होंगे। अब्राहम लिंकन ने कहा है कि यदि किसी व्यक्ति के चरित्र की दृढ़ता आंकना चाहते हों तो उसे शक्तियां और अधिकार दे दें। - मैं कहता हूँ, कि यदि आपको किसी का कुछ भी आंकना है तो उसको एक प्रेमिका दे दें जो कि बाद में उसकी बीवी बने। शादी वह क्षण है जहाँ आप यह नहीं कह सकते - "चलो सब कुछ भूल जाते हैं".
योग्यता आपको शिखर तक ले जा सकती है पर आपका चरित्र आपको वहां बनाये रखता है। किसी भी संवाद में सबसे ज़रूरी है वह सुनना जो कहा नहीं जा रहा हो। अपने कार्यस्थल पर हमें उनके प्रति आदर और समर्पण दिखाना चाहिए जो उपस्थित नहीं हैं, इस प्रकार हम उनका विश्वास प्राप्त कर लेते हैं जो उपस्थित हैं। इसका मतलब ये नहीं कि आप झूठी प्रशंशा कीजिये।
इन दिनों हम ऐसी चीज़ों को खरीदना चाहते हैं जिनकी हमें ज़रूरत नहीं हैं, ऐसे धन से खरीदना चाहते हैं जो हमारे पास नहीं है, और उन लोगों को दिखाने के लिए खरीदना चाहते हैं जिन्हें हम पसंद नहीं करते। वाह रे मुर्खता! मूर्ख लोग जब एक समूह बनाकर खड़े हों तो उनकी ताक़त को कम न आंकें। और हाँ किसी को भी अपने जैसा बनाने की कोशिश न करें। भगवान जानता है कि आप जैसा एक ही काफी है। फिर भी कहूँगा कि
चीज़ों के उजले पक्ष की तरफ़ देखने से आज तक किसी की भी आँखें ख़राब नहीं हुईं और जैसा कि एलिअनोर रूजवेल्ट ने कहा है कि आपकी अनुमति के बिना कोई भी आपको छोटा नहीं बना सकता तो बस बड़े होने पे इतना भी गम मत करिए। जरा उस शराबी के बारे में विचार करिए जो कि वही सब बकता है जो शराब न पीनेवाले सोचते हैं।
मस्त रहिये। एक दिन आएगा जब आपकी ज़िंदगी आपकी आंखों के सामने एक फ़िल्म की तरह दिखेगी, इसलिए एक बेहतर ज़िंदगी जियें। इटालियन कहावत है कि - शतरंज का खेल ख़त्म हो जाने पर राजा और पैदल सिपाही एक ही डब्बे में चले जाते हैं। अतः हमें सदैव उदार और दयालु होना चाहिए - चार चींटियाँ जंगल से गुजर रही थीं। उन्होंने एक हाथी को आते देखा। पहली चींटी बोली - "इसे ख़त्म कर देते हैं"। दूसरी चींटी बोली - "इसकी टांग तोड़ देते हैं"। तीसरी चींटी बोली - "इसे उठाकर फेंक देते हैं"। चौथी चींटी बोली - "इसे जाने दो यार, ये अकेला है और हम चार"।