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आज बहुत दिनों के बाद हाथ में इन्टरनेट कनेक्शन आया है. तो बस बहुत दिनों से कई बातें जो अन्दर थीं अब उनको बाहर आने का मौका मिला है. तो मैं आज धैर्य के ऊपर आपको अपना एक अनुभव बताता हूँ. वैसे इसपे बड़े बड़े विद्यानों ने बखान दिए हैं, पर मेरा अनुभव हमारे एक मित्र से सम्बंधित है. तो हुआ यूँ, कि हमारे मित्र ने बताया कि, धैर्य न होने की वजह से वो टाइपिंग न सीख सके. मैंने पूछा धैर्य और टाइपिंग का आपस में भला क्या सम्बन्ध है? उन्होंने जिस मासूमियत से समझाया कि पूछिए मत. वो बताने लगे कि, जब वो टाइपिंग की क्लास में जाते थे, तो उनमें इतना धैर्य नहीं था कि वो बताये अनुसार एक पंक्ति के अक्षरो को टाइप करें जैसे (a s d f j k l) फिर (q w e r t y u i o p) वगैरह वगैरह... बस जब भी होता वो, a b c d ले के शुरू कर देते थे टाइप करना. और बस इसी अधीरपन की वजह से वो आज तक टाइपिंग नहीं सीख सके. बड़ा ही सरल और व्यावहारिक ज्ञान था. आसानी से समझ में आ जाने वाला .
भगवान् हम सब को धैर्य प्रदान करें.
भगवान् हम सब को धैर्य प्रदान करें.


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इस धैर्य की कमी तो हम में भी है।हम भि इस नियम का पालन नही करते। लेकिन टाईप कर लेते हैं। भले ही स्पीड बहुत कम है।
ReplyDeleteइंटरनेट कनेकशन के लिए बधाई.....धैर्य रखने का फल तो मिलता ही है।
ReplyDeleteआपने अपने दोस्त की बात धीरज के साथ सुने इन्सान के जीवन में धीरज से बड़ा कुछ भी नही होता है धीरज से काम नही लेने से नुकसान ही होता है चाहे वो कोई काम हो या किसी की बात धीरज से बढ़ कर कुछ भी नही होता भगवन भी धीरज रखने के लिए बोले है धीरज के साथ बिस्वास अपने ऊपर रखने को बोले है
ReplyDeleteजो होना है होगा - जो नही होना है वो नही होगा
हमारी माता जी, (सोनू की मम्मी ने पढने के बाद ये लिखा )
bahut accha likha neerajji aapne
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