मैं और मेरी पंचायत. चाहे ऑफिस हो, या हो घर हम पंचायत होते हर जगह देख सकते हैं. आइये आप भी इस पंचायत में शामिल होइए. जिदगी की यही छोटी-मोटी पंचायतें ही याद रह जाती हैं - वरना इस जिंदगी में और क्या रखा है. "ये फुर्सत एक रुकी हुई ठहरी हुई चीज़ नहीं है, एक हरकत है एक जुम्बिश है - गुलजार"


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Sunday, December 6, 2009

सब कुछ आपके अच्छे और भले के लिए ही हो रहा है.

Playground in Firehouse Mini Park and, in back...Image via Wikipedia
हम हमेशा से करना चाहते हैं. जैसे कोई किताब लिखना चाहता है, तो कोई कुछ जगहों पे घूमना चाहता है. तो किसी की ख्वाइश होती है, कि वो समाज-सेवा करे, वगैरह-वगैरह.  मेरे एक मित्र है, वो हमेशा जब भी वक़्त मिलता है, कहीं घूमने निकल जाते हैं. मेरे को बड़ा आश्चर्य होता है, कि भला आज की भागती-दौड़ती जिन्दगी में जबकि लोग हमेशा यही शिकायत करते हैं, कि समय नहीं है. भीड़ बहुत है. वहीँ ये जनाब है, कि बस मनमौजी की तरह जैसे ही वक़्त मिला - बस निकल लेते हैं. मैं बहुत कुछ सीखता हूँ उनसे. ऐसा नहीं कि उनके पास ऑफिस में काम कम है, या फिर वो बहुत ही फालतू है. जी नहीं. बहुत ही जिम्मेदारी वाला काम है ऑफिस में उनका भी. काफी दौड़ -धूप भी है. पर शायद अपने लिए इस तरह कुछ वक़्त निकाल लेने से वो काफी तरोताज़ा महसूस करते हैं. और बस वो वही करते हैं. और इससे उनको जो ताकत मिलती है, वो ही उनको खड़ा रखती है.

हम सब लोग हमेशा यही सोचते हैं, कि बस किसी तरह बस आज की समस्या से बाहर आ जाएँ, बाकी बाद में देखेंगे. लगता है कि हम ये मान के बैठे हैं, कि हमारे पास बहुत ही लम्बी ज़िंदगी है. और पूरा विश्वास है, कि कल कोई और समस्या अपना चौड़ा सा मुहं फैलाए उनके सामने नहीं आके खड़ी होगी . जी ये तो एकदम टॉप का सच है, कि समस्या कभी ख़त्म नहीं होती है, बस उसका स्वरुप बदल जाता है. तो ज़रुरत इस बात की है, कि समस्या को नजरंदाज कर के अपने जीने के लिए जो बहुत ही जरूरी है, उसके लिए समय निकालें. वो करें, जो करना आप हमेशा ही चाहते हैं. बड़ी ही शांती मिलती है. किसी ने  सही कहा है , कि अगर हमें ऐसा काम करना हो, जो कि हमें बहुत ही पसंद है, तो हमें उस काम में थकावट का एहसास नहीं होता है. तो अब होता ऐसा है कि हमेशा तो हमें मन माफिक काम मिलेगा नहीं. तो मैं क्या कहुँगा कि जो भी काम और परिस्थितियाँ  बने, बस अपना मन उसके माफिक बना लेना चाहिए. पर अक्सर होता ऐसा नहीं है, हम इसके विपरीत काम करते है. हमें अनायास ही अपनी सारी ऊर्जा उन परिस्थितियों को अपने अनुसार बनाने में खर्च कर देते हैं. और आप ज़रूर मानेंगे कि ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं होता है.

एक कड़वा सच है, कि जो भी होता है, वो अच्छे के लिए ही होता है. बस हमें वक़्त लगता है उसे समझने और स्वीकार करने में. और ये वक़्त ज्यादा लगेगा या कम, ये इसपे निर्भर करता है कि हम कितना सकारात्मक सोचते हैं. कोई है, जो कि हमेशा आपके अच्छे के बारे में ही सोच रहा है, ये सारा संसार और आपके अगल-बगल की घटनाएं आपको आपकी सफलता की ओर ले जाने के लिए सारा जुगाड़ कर रही हैं. बस आप एक बार विश्वास भरी नज़र से देखिये तो. सब कुछ आपका अपने है. सब कुछ आपके अच्छे और भले के लिए ही हो रहा है.

4 comments:

  1. मैं आपकी बातो से काफी हद तक सहमत हूँ..सब भले के लिए ही हो रहा है,ऐसा सोचने से एक सकारात्मक प्रभाव जरूर पड़ता है..

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  2. सदविचारों के लिए आभार.

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  3. यही जो हो रहा रहा है अच्छा होगा वाली सोच ज़िन्दगी में आगे बढाए रखती है ..अच्छा लिखा है आपने शुक्रिया

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  4. जीवन को अच्छी दिशा देने वाला एक सकारात्मक लेख----

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विचारों को पढने और वक्त निकाल के यहाँ कमेन्ट छोड़ने के लिए आपका शुक्रिया

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