मैं और मेरी पंचायत. चाहे ऑफिस हो, या हो घर हम पंचायत होते हर जगह देख सकते हैं. आइये आप भी इस पंचायत में शामिल होइए. जिदगी की यही छोटी-मोटी पंचायतें ही याद रह जाती हैं - वरना इस जिंदगी में और क्या रखा है. "ये फुर्सत एक रुकी हुई ठहरी हुई चीज़ नहीं है, एक हरकत है एक जुम्बिश है - गुलजार"


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Friday, December 5, 2008

एक चिट्ठी - शादी की शुभकामनाओं के साथ

MarriageImage via photobucket.com
जैसे जैसे तुम्हारे विवाह का दिन करीब आ रहा है, न जाने मेरा दिल क्यों बहुत ही घबरा रहा है. वैसे जबकि ऐसा तब होता है, जब लडकी की शादी होती है, और उसकी विदाई का समय आता है. पर क्या करें इतने दोस्तों की शादी और उसके बाद मित्र मंडली से उनकी विदाई देख चुके हैं, कि लगता है, कि तुम्हारी भी विदाई ही हो रही है. जैसे जब लडकी ससुराल जाती है, तो उसको लगता है, कि लोग कैसे होंगे, नई जगह कैसी होगी .. वगैरह वगैरह.. यहाँ भी बात कुछ ऐसी ही है.

तुमने अपनी शादी को एक प्रोसेस की तरह लिया ('एक शादी हमने भी की' - तुम्हारी वो यादगार लाइन). सब कुछ बड़ी ही संजीदगी से handle किया है. जितनी मेहनत की है, वो सब कुछ बता देती है. मैं तुम्हारी लगन और कभी न हार मानाने वाली कला का कायल हूँ. तुमने अपनी जिंदगी को हमेशा ही लड़ा है - खूब प्यार किया है अपनी जिंदगी से. मैं शुरू में समझ नहीं पाया था. न जाने क्यों आज जब तुम्हारी शादी की डेट इतनी नजदीक है .. तो मेरा दिल धक्-धका रहा है. बस ईश्वर से ये ही प्रार्थना है, कि तुमको तुम्हारी मेहनत और लगन का सही फल मिले.

मैंने पिछले कई महीने, जब तक मैं यहाँ काफी दूर था, तेरे को काफी टोर्चेर किया है. तमाम तरह के सवाल कर के. तो कभी अनायास की सलाह दे के. तो कभी ऐसी फिजूल और दकियानूसी बातें कर के जिसको कि , आम समय में तुम जगह भी नहीं देते. पर तुमने बहुत ही प्यार से ये कह के टाल दिया कि तुमको अच्छा लगता है. मैं जनता हूँ, कि मेरे को झेलना बहुत ही मुश्किल काम है. तुमने बहुत सालों तक मेरे को झेला है. मैं भी बिना बदले हुए उसी तरह १९९१-९२ की गर्मियों की तरह अभी भी न जाने किस दुनिया में जी रहा हूँ.

मैं ये मेल क्यों लिख रहा हूँ, ये मेरे को भी नहीं मालूम है. पर हाँ, शादी में तो मैं आ नहीं पाऊँगा. तो शायद इसी तरह से कुछ लिख कर के अपने को संतोष दे रहा हूँ. अब मैं वहाँ हूँ नहीं, पर फिर भी मन तो वहीँ रहेगा... मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं. मैं हमेशा दुःख और परेशानियों के समय तुम्हारे साथ हूँ. जब सब कुछ मस्त - तभी मैं मोहल्ला बदलूँगा


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5 comments:

  1. राम भली करेंगे।

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  2. हमारी दुआए भी ले लीजिये !

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  3. पीड़ा में भी कभी खुशी ढ़ूढ़नी पड़ती है।

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  4. nice post yar

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