Newsweek 2008 06 16 (Photo credit: sdobie) |
आज यहाँ माहौल थोड़ा अलग है. सुबह से ही थोड़ा सूनापन महसूस हो रहा था, पर असलियत तब पता चली जब हमारे क्लाइंट ने हमें एक कमरे में ले जा के गुफ्तगू की. श्रीमान ने बताया कि, १२% लोग कंपनी से निकाल दिए गए हैं. मैं इस कंपनी के जिस ग्रुप के लिए एक कंसलटैंट की हैसियत से यहाँ काम कर रहा हूँ, उसके करीब १०० में से २५ लोग नप गए.
मैंने जब से काम शुरू किया है, तब से लगभग सब कुछ ठीक ही था. पर अभी विगत कुछ दिनों से जिस प्रकार से इकोनोमी ख़राब हुई है, उसका असर इतने करीब से पहली बार देख रहा हूँ. इतनी चका-चौंध है इस देश में हर तरफ़. अपने देश से देखो तो लगता है कि बस सपनों की नगरी है. अभी मैं जब ये लिख रहा हूँ, तो बस समझ में नहीं आता कि अपनी भावनाओं को किस प्रकार से काबू में करूं. जिनको निकाला गया, वो मेरे कोई नहीं थे, पर मन तो नहीं न मानता है. अभी क्रिसमस का टाइम है, लोग उत्सव के माहौल में हैं. और आज जब वो सुबह ऑफिस आते हैं, तो उनको बता दिया जाता है, कि बस अब कंपनी को आपकी सेवा की जरूरत नहीं है.
मैं तो बस चंद दिन और हूँ यहाँ पर. कल जब देश में लौट जाऊँगा तो फिर से रोज-मर्रा की जरूरतों और समस्याओं में उलझ जाऊँगा. फिर शायद इतना सोच न पाऊँ. पर अभी जो दिल में है, लिख दे रहा हूँ. दोस्तों, बाहर से देखने में वो जो दीखता है, वो हमेशा ही उतना उजला नहीं होता है. यहाँ भी, इस देश में भी लोगों को कष्ट और दुःख उसी तरह होता है. मन थोड़ा इसलिए भी मेरा कुछ ज्यादा खट्टा हो गया, क्योंकि जिन लोगों की नौकरी गई है, उनमें से एक मेरे सीट के बगल वाली सीट पे बैठने वाले भी थे.. अभी पिछले ३ वीक से मैं प्रोजेक्ट के काम से उनसे टच में था. वो थोड़ा उमर दराज थे, और प्रोग्रम्मिंग का काम करते थे. हमेशा मुस्कुराते रहते थे. अभी जब उनकी सीट पे देख रहा हूँ, तो बड़ा अजीब लग रहा है.
बहुत जरूरी है, कि आप अपना काम बहुत ही मन लगा के करें. देश और दुनिया की पंचायत जरूरी है, पर अगर आप अपने को अप-टू-डेट नहीं रखेंगे तो आपकी भी दिवाली, ईद और क्रिसमस खट्टा हो सकता है. दोस्तों, ये चंद लाइनें मैंने लिखीं हैं, इसके पीछे मेरा एक ख़ास मकसद है. आप सभी लोगों से निवेदन है, कि दुनिया की, अपने देश की समस्याओं और बाकी दिक्कतों पे ज्यादा ध्यान दे के अपना वक्त न बरबाद करें. आतंकवादी, नेता, क्रिकेट, फूटबाल, सिनेमा और नाच गाना की चर्चा कर के अपना वक्त जाया न करें. न तो इनके बारे में पढ़ें और न ही चिंतित हो और न ही चर्चा करें. अगर चिंता करनी ही है तो अपने करियर और व्यावसाय को ले के चिंतन करें. वरना एक दिन हमारा भी आ सकता है.